शनिवार, 6 जुलाई 2019

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1-वर्षा
डॉ जेन्नी शबनम
1
तपती धरा
तन भी तप उठा
बदरा छाए
घूम -घूम गरजे
मन का भौंरा नाचे।
2.
कूकी कोयल
नाचे है पपीहरा
देख बदरा
चहके है बगिया
नाचे घर अँगना।
3.
ओ रे बदरा
कितना तड़पाया
अब तू माना
तेरे बिना अटकी
संसार की मटकी।
4.
गाए मल्हार
घनघोर घटाएँ
नभ मुस्काए
बूँदें खूब झरती
रिमझिम फुहार।
5.
बरसा पानी
याद आई है नानी
है अस्त व्यस्त
जीवन की रफ्तार
जलमग्न सड़कें।
6.
पौधे खिलते
किसान हैं हँसते
वर्षा के संग
मन मयूरा नाचे
बूँदों के संग-संग।
7.
झूमती धरा
झूमता है गगन
आई है वर्षा
लेकर ठंडी हवा
खिल उठा चमन।
8.
घनी प्रतीक्षा
अब जाकर आया
मेघ पाहुन
चाय संग पकौड़ी
पहुना संग खाए।
9.
पानी बरसा
झर-झर झरता
जैसे झरना,
सुन मेरे बदरा
मन हुआ बावरा।
10.
हे वर्षा रानी
यूँ रूठा मत करो
आ जाया करो
रवि से लड़कर
बरसो जमकर।
-0-
2-हमस
आनन्द रोहिला
1
हमने बोए
बीज मधु-प्रेम के
पर ना उगे,
तू रहा बेखबर
मेरे हमसफर ।
2
ढूँढती फिरूँ
दिनभर बाट में
फर्क न पड़ा ,
रही दरबदर
मेरे हमसफर ।
3
रोए कलियाँ
भँवरे चले गए
तेरी तरह,
धुँधला डगर
मेरे हमसर ।
4
भरी गलियाँ
है सुनसान रास्ते
तू दिखा नहीं ,
ये हर्षाए नगर
मेरे हमसफ़र ।
5
माघ किरण
बहे ठंडी पवन
न शांत करे,
ये देख मेरा हश्र
मेरे हमसर ।
-0- आनन्द रोहिला,गाँव व डाकघरअमीन,जिला -कुरुक्षेत्र ,तहसील - थानेसर चलभाष 9050630925


8 टिप्‍पणियां:

Sudershan Ratnakar ने कहा…

वर्षा ऋतु का इतना सुंदर सजीव .मनभावन चित्रण कि मन आनन्द की बूँदों से नहा लिया। हार्दिक बधाई जेन्नी जी।

Sudershan Ratnakar ने कहा…

सभी ताँका भावपूर्ण सुंदर । बहुत बहुत बधाई आनन्द रोहिला जी

bhawna ने कहा…

सभी ताँका सुंदर व भावपूर्ण।
दोनों रचनाकारों को बधाई।

सादर,
भावना सक्सैना

dr.surangma yadav ने कहा…

वर्षा ऋतु का मनभावन चित्रण ।बधाई जेन्नी शबनम जी।
आनंद रोहिला जी ने प्रेम की पीड़ा का भावपूर्ण अंकन किया है।बहुत सुन्दर ।बधाई ।

Kamlanikhurpa@gmail.com ने कहा…

तेरे बिना अटकी
संसार की मटकी

वाह अति सुंदर जेन्नी जी


आनंदजी की रचना के भाव गहन

दोनों कवियों को बधाई

प्रियंका गुप्ता ने कहा…

बहुत सुन्दर रचनाएँ...| हार्दिक बधाई...|

Krishna ने कहा…

बहुत सुंदर भावपूर्ण रचनाएँ। आप दोनों रचनाकारो को बहुत बधाई।

Jyotsana pradeep ने कहा…


सभी ताँका बेहद प्यारे व भावपूर्ण....
दोनों रचनाकारों को हार्दिक बधाई !!