गुरुवार, 25 अगस्त 2016

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1-अमूल्य उपहार
                           शशि पाधा
वो नन्हें-नन्हें पाँव बढ़ाता, धीमे-धीमे चल रहा था । उसके होठों की मुस्कान एवं आँखों की चमक में कुछ रहस्य छिपा था ।अब वो थोड़ा पास आ गया था । मैंने देखा कि उसके नन्हें-नन्हें,कोमल हाथों में तीन शाखों वाली कुछ लंबी सी दूर्वा (हरी घास) धीमे-धीमे डोल रही थी ।
मैं उसे कुछ दूर से बड़ी उत्सुकता से देख रही थी और सोच रही थी कि वो उस टहनीनुमा घास को लेकर कहाँ जा रहा था । अरे, वो तो मेरी ओर ही आ रहा था । अपने दायें हाथ में घास की उस छोटी -सी दूर्वा को उठाकर वो ऐसे चल रहा था ,मानों सुमेरु पर्वत का भार वहन कर रहा हो ।
मेरे पास आते ही उसकी आँखों की चमक चौगुनी हो गई और मुस्कान उसके कोमल होठों से उसके कानों तक एकरस हो गई । मैं भी चुपचाप उसे देख रही थी कि आखिर वो क्या करने जा रहा है, कहाँ जा रहा है ।
मेरे पास पहुँचते ही उसने मुस्काते हुए दूर्वा को मेरी और बढ़ाया और कहा-“दादी, आपके लिए फूल !”
‘वो’ मेरा पौने तीन वर्ष का पोता ‘शिवी’ है और उस अमोल उपहार को पाकर  गद्गद होने वाली उसकी दादी, मैं-शशि पाधा ।
 निर्मल मन
अमूल्य उपहार
 भीगे नयन ।
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6 टिप्‍पणियां:

Unknown ने कहा…

Good

ਸਫ਼ਰ ਸਾਂਝ ने कहा…

दादी को मिला अमूल्य उपहार, शायद हर दादी ऐसे ही उपहार की कामना करती है।

Unknown ने कहा…

दादी के प्रति पोते के असीम प्यार का प्रतीक हाइबन है यह । ऐसा प्रेमपूर्ण उपहार पाकर दादी कैसे न निहाल होगी । पढ़कर मन खुश हो गया नन्हे बच्चों के मन मोहक कार्य सब को लुभा लेते है ।

ज्योति-कलश ने कहा…

बहुत प्यारा हाइबन !
हार्दिक बधाई शशि दी !!प्रिय शिवी के लिए बहुत शुभकामनाएँ !!

UJJWALKAPIL ने कहा…


बहुत प्यारा हाइबन ....बहुत प्यारा है अमूल्य उपहारधाई शशि दी !!
दादी - पोते के असीम प्यार के लिए बहुत शुभकामनाएँ !!

Shashi Padha ने कहा…

आप सब का बहुत बहुत धन्यवाद | शिवी को आशीष मिला और मुझे आप सब का स्नेह | है ना यह भी अनुपम उपहार !

मंगल कामनाओं सहित,
शशि पाधा