मंगलवार, 29 अप्रैल 2014

महकाऊँ फिजा

1-रचना श्रीवास्तव
1
दूधिया पानी
झरना बन बहे
ऋतु नहा
हवा भिगो पर
नमी से भर जाए 
2
फूलों के बक्से
कैद खुशबू सोचे-
खोल दे हवा
जो  बंद  आवरण
महकाऊँ फिजा मैं
3
चाँद के घर
तारों का है पहरा
डरी चाँदनी
परदा हटा  सोचे-
धरा पे जाऊँ कैसे ?
-0-

2-रेनु चन्द्रा
1
कश्ती प्यार की
मिला साथ तुम्हारा
मोहित मन
फूलों ने वादियों में
सतरंग बिखेरा ।  
2
झीलों में अक्स
पर्वतों का है घेरा
रात चाँद पे
नेह में भीगा हुआ
बादलों का है डेरा ।
-0-

7 टिप्‍पणियां:

Jyotsana pradeep ने कहा…

oof...itni komal v manmohak kalpnaye ....doodhiya paani jharnaban.....jheelo mein aks......anand mila padhkar....rachnaji renuji...badhai

Aparna Bose ने कहा…

Waah... khoobsurat panktiyaan

Anita Lalit (अनिता ललित ) ने कहा…

बहुत सुन्दर प्राकृतिक छटा बिखेरते हुए सभी ताँका !
रचना श्रीवास्तव जी, रेनु चन्द्रा जी... आप दोनों को हार्दिक बधाई !

~सादर
अनिता ललित

Pushpa mehra ने कहा…

phoolon ke bakse, kaid khushabu soche ,.........,kashti pyar ki......
rachana ji va renu ji ap dono ke tanka bahut hibhavpurn hain.badhai
pushpa mehra.

Krishna ने कहा…

चाँद के घर
तारों का है पहरा.........

झीलों में अक्स
पर्वतों का है घेरा......
रचना जी, रेनू जी बहुत खूबसूरत ताँका....बधाई !

ज्योति-कलश ने कहा…

"दूधिया झरना" ," फूलों के बक्से " और 'मोहित मन " सभी बहुत सुन्दर ...मन मोह लिया ...हार्दिक बधाई ....रचना जी एवं रेनू जी !!

प्रियंका गुप्ता ने कहा…

चाँद के घर
तारों का है पहरा
डरी चाँदनी
परदा हटा सोचे-
धरा पे जाऊँ कैसे ?
क्या बात है रचना जी...बहुत खूबसूरत...|

झीलों में अक्स
पर्वतों का है घेरा
रात चाँद पे
नेह में भीगा हुआ
बादलों का है डेरा ।
बहुत सुन्दर...|

आप दोनों को हार्दिक बधाई...|