tag:blogger.com,1999:blog-7467012346932675254.post6509880951055273890..comments2024-03-29T02:11:17.472+11:00Comments on त्रिवेणी: घर की तलाशUnknownnoreply@blogger.comBlogger9125tag:blogger.com,1999:blog-7467012346932675254.post-9346191393989786452013-09-20T22:18:53.428+10:002013-09-20T22:18:53.428+10:00ज्योत्स्ना जी, मंजू जी, Krishna जी ... सराहना तथा ...ज्योत्स्ना जी, मंजू जी, Krishna जी ... सराहना तथा प्रोत्साहन देने का हार्दिक धन्यवाद व आभार! :)<br /><br />ज्योत्स्ना जी... भावपूर्ण तांका !<br /><br />~सादर!!!Anita Lalit (अनिता ललित ) https://www.blogger.com/profile/01035920064342894452noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7467012346932675254.post-33344546147479216342013-09-20T01:17:35.932+10:002013-09-20T01:17:35.932+10:00कटु सत्य को कहता बहुत बढ़िया चोका.....अनिता जी बहुत...कटु सत्य को कहता बहुत बढ़िया चोका.....अनिता जी बहुत बधाई!Krishnahttps://www.blogger.com/profile/01841813882840605922noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7467012346932675254.post-72699435949192321562013-09-19T23:19:38.410+10:002013-09-19T23:19:38.410+10:00किससे अब पूछे ......
"अपना घर ?"
" ...किससे अब पूछे ......<br />"अपना घर ?"<br />" कौन अब अपना .. ?"<br />"इस धरती पर ...??? "<br />-0-<br /> अंत सुंदर प्रश्नात्मक अनबुझ ही रहेगा , रचना नारी जगत का सुंदर व्यंग्य . <br /><br />बधाई Manju Guptahttps://www.blogger.com/profile/10464006263216607501noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7467012346932675254.post-50743892712667553722013-09-19T22:01:51.681+10:002013-09-19T22:01:51.681+10:00कटु यथार्थ को कहता बहुत सुन्दर चोका अनिता जी ...वस...कटु यथार्थ को कहता बहुत सुन्दर चोका अनिता जी ...वस्तुतः....<br /><br />"विस्तृत नभ का कोई कोना ..मेरा न कभी अपना होना "...तब से अब तलक यह तलाश अनवरत जारी है ....<br />जरूरत है <br />तू खोज ले भीतर <br />वह दृढ़ता <br />जो पिघलती नहीं ..<br />झूठे सम्मोहन से !...फिर बस कल्याण ही कल्याण ...:)...बहुत बधाई आपको !<br /><br />सादर <br />ज्योत्स्ना शर्मा ज्योति-कलशhttps://www.blogger.com/profile/05458544963035421633noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7467012346932675254.post-74042276367095315622013-09-19T20:57:55.807+10:002013-09-19T20:57:55.807+10:00प्रियंका गुप्ता जी, अशोक भैया जी.. सराहना व प्रोत्...प्रियंका गुप्ता जी, अशोक भैया जी.. सराहना व प्रोत्साहन के लिए दिल से धन्यवाद व आभार!:)<br /><br />अशोक भैया जी... आपका हाइकु दिल को छू गया...<br /><br />~सादर!!!Anita Lalit (अनिता ललित ) https://www.blogger.com/profile/01035920064342894452noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7467012346932675254.post-21174885799659597162013-09-19T03:11:10.615+10:002013-09-19T03:11:10.615+10:00अनीता ,,इस चौके का विश्लेषण तो मैं नही कर सकता ..ह...अनीता ,,इस चौके का विश्लेषण तो मैं नही कर सकता ..हाँ महसूस कर सकता हूँ ..जो महसूस किया है उसे आज भी (कल का पता नही )एक नारी की नज़र से एक हाइकु के रूप में कहना चाहता हूँ ....<br />मेरी कीमत <br /> तब सबने जानी <br /> जब जाँ गई ...<br />---अशोक "अकेला "<br />अशोक सलूजाhttps://www.blogger.com/profile/17024308581575034257noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7467012346932675254.post-20304643128138530512013-09-19T00:47:50.742+10:002013-09-19T00:47:50.742+10:00सुभाष जी... आपकी सराहना व प्रोत्साहन का दिल से आभा...सुभाष जी... आपकी सराहना व प्रोत्साहन का दिल से आभार! बस ! यही कहना चाहेंगे कि:<br /><br />~पुरुष कभी<br />लड़ा कहीं, किसी से<br />अपने हक़<br />अधिकार के लिए?<br />नारी को ही क्यों<br />लड़ना पड़े<br />अपने कर्तव्यों को<br />निभाने को भी???~<br /><br />~सादरAnita Lalit (अनिता ललित ) https://www.blogger.com/profile/01035920064342894452noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7467012346932675254.post-45942651363582856332013-09-19T00:09:02.608+10:002013-09-19T00:09:02.608+10:00बहुत सटीक प्रश्न उठाया है आपने...कौन सा घर है हमार...बहुत सटीक प्रश्न उठाया है आपने...कौन सा घर है हमारा...? अक्सर कहते सुना जाता है, लड़की अपने घर ही अच्छी लगती है, पर कोई बताए तो...उसका घर है कहाँ...? मायका पिता-भाई का, ससुराल पति और उसके घरवालों का...| घर तो दूर की बात, कई बार उसकी अपनी पहचान ही नहीं होती कोई...वो सिर्फ मिसेज...के नाम से जानी जाती है|<br />बहुत अच्छा लगा ये चोका...हार्दिक बधाई...| प्रियंका गुप्ता https://www.blogger.com/profile/10273874634914180450noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7467012346932675254.post-83252017113364140442013-09-18T21:56:11.428+10:002013-09-18T21:56:11.428+10:00अनिता ललित जी का यह चोका मन को कहीं बहुत गहरे झकझो...अनिता ललित जी का यह चोका मन को कहीं बहुत गहरे झकझोरता है। कितना विवस बनाया है हमने अपनी बहन - बेटियों को ? अनिता जी, आपके इस चोका में जो सवाल है, उसका जवाब मिलना ही चाहिए। आपको बधाई ! मुझे भी लगा कि मैं भी इस सवाल का जवाब खोजूं और दिल से जो जवाब मिला, वह सादर यहाँ लिख रहा हूँ : <br /><br />अपना घर ?:<br />---------------<br />घर अपना / सवाल तो सही है / जानें कहां है /<br />सवाल पुराना है / गुफाएं छोड़ / बने जब मकान <br />मालिक कौन / ये तय होने लगा <br />बना पुरुष / परिवार प्रमुख / नारी संगनी <br />वक़्त बीतता गया / सोच बदली <br />नारी सोचने लगी / वह कौन है /उसके हक़ क्या हैं <br />मालूम हुआ / उसका कुछ नहीं <br />जो कुछ भी है / पिता या पति का है <br />कानून बने / नारी को हक़ मिले <br />लेकिन हक़ / मिलेंगे उसे तभी / जब लड़ेगी कभी। <br />----------------------------------------<br />- सुभाष लखेड़ा <br />Subhash Chandra Lakherahttps://www.blogger.com/profile/12038169671073530833noreply@blogger.com