tag:blogger.com,1999:blog-7467012346932675254.post3207624201463134016..comments2024-03-29T02:11:17.472+11:00Comments on त्रिवेणी: अम्बर ओढूँUnknownnoreply@blogger.comBlogger9125tag:blogger.com,1999:blog-7467012346932675254.post-20239118836358159722012-10-03T02:43:53.137+10:002012-10-03T02:43:53.137+10:00सभी तांका बहुत बढ़िया हैं...बधाई...।सभी तांका बहुत बढ़िया हैं...बधाई...।प्रियंका गुप्ता https://www.blogger.com/profile/10273874634914180450noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7467012346932675254.post-55771508516690814592012-10-01T10:41:54.182+10:002012-10-01T10:41:54.182+10:00रेनुचन्द्रा जी , आपका बहुत बहुत धन्यवाद |रेनुचन्द्रा जी , आपका बहुत बहुत धन्यवाद |शशि पाधाnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7467012346932675254.post-38016656637510696802012-10-01T10:40:26.331+10:002012-10-01T10:40:26.331+10:00धन्यवाद सुशीला जी| यह मेरा तांका लिखने क पहला प्रय...धन्यवाद सुशीला जी| यह मेरा तांका लिखने क पहला प्रयास है | उत्साह वर्धन के लिए आभार |शशि पाधाnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7467012346932675254.post-21344484798627602612012-09-30T03:23:45.830+10:002012-09-30T03:23:45.830+10:00सभी तांका बहुत अच्छे लगे...विशेषकर शशि पाधा जी का ...सभी तांका बहुत अच्छे लगे...विशेषकर शशि पाधा जी का अम्बर ओढ़ूं..और अमिता जी का दर्द ने दिया...,दु:ख जो मिले..बहुत अच्छे लगे। बधाई..<br /> रेनु चन्द्राAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7467012346932675254.post-54076737242588832602012-09-30T01:14:06.527+10:002012-09-30T01:14:06.527+10:00कृष्णा वर्मा जी , आपका हार्दिक धन्यवाद |कृष्णा वर्मा जी , आपका हार्दिक धन्यवाद |शशि पाधाnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7467012346932675254.post-66965451517595721342012-09-30T01:13:03.479+10:002012-09-30T01:13:03.479+10:00ज्योत्सना जी , धन्यवाद |ज्योत्सना जी , धन्यवाद |शशि पाधाnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7467012346932675254.post-31996165299029191692012-09-30T00:19:54.890+10:002012-09-30T00:19:54.890+10:00सभी ताँका बहुत ही मनभावन।शशि पाधा जी के पहले दो ता...सभी ताँका बहुत ही मनभावन।शशि पाधा जी के पहले दो ताँका विशेष रूप से पसंद आए।<br />डॉ अमिता कौण्डल के प्रेरित करते हाइकु मन में नया विश्वास जगाते हैं।<br />दोनों कवयित्रियों को सुंदर लेखन के लिए बधाई !<br />sushilahttps://www.blogger.com/profile/05803418860654276532noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7467012346932675254.post-55165705919097461892012-09-30T00:00:26.869+10:002012-09-30T00:00:26.869+10:00नदी की धार
चुपचाप –नीरव
एकाकी बही
छूट गए किनारे...नदी की धार <br />चुपचाप –नीरव <br />एकाकी बही <br />छूट गए किनारे <br />सागर का मोह था <br /><br />पग- बंधन <br />मन उड़ना चाहे <br />न घबरा यूँ <br />जब किया संकल्प <br />तो होगा ही साकार ।<br /><br />सुन्दर भाव शशि जी, अमिता जी को बधाई।Krishna Vermanoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7467012346932675254.post-25909525994107037812012-09-29T21:00:52.636+10:002012-09-29T21:00:52.636+10:00सभी ताँका एक से बढ़कर एक ....
अम्बर ओढूँ
शीत -रेत ...सभी ताँका एक से बढ़कर एक ....<br /> अम्बर ओढूँ<br />शीत -रेत -बिछौना<br />तारों के दीप<br />हवाओं की थपकी<br />हों सपने तुम्हारे ।....एवं <br /><br /> दुःख जो मिले<br />तो अपना ले साथी<br />पर सुख में<br />न अपनाना अहं<br />तो जीवन साकार ।......बहुत सुन्दर लगे ...<br /><br /><br /><br /><br />ज्योत्स्ना शर्माnoreply@blogger.com