tag:blogger.com,1999:blog-7467012346932675254.post2355633995671823077..comments2024-03-29T02:11:17.472+11:00Comments on त्रिवेणी: कुछ मोती झरते Unknownnoreply@blogger.comBlogger11125tag:blogger.com,1999:blog-7467012346932675254.post-30244718045331265192012-05-07T04:47:12.042+10:002012-05-07T04:47:12.042+10:00बहुत सुन्दर ताँका . संगीता जी और खान साहब को बधाई....बहुत सुन्दर ताँका . संगीता जी और खान साहब को बधाई.डॉ. जेन्नी शबनमhttps://www.blogger.com/profile/11843520274673861886noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7467012346932675254.post-31966093332492269752012-04-29T14:51:38.648+10:002012-04-29T14:51:38.648+10:00सभी तांका बहुत सुन्दर हैं ...आप दोनों को बहुत बधाई...सभी तांका बहुत सुन्दर हैं ...आप दोनों को बहुत बधाई..|प्रियंका गुप्ता https://www.blogger.com/profile/10273874634914180450noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7467012346932675254.post-58157613520104960582012-04-29T13:13:40.321+10:002012-04-29T13:13:40.321+10:00"लब खुलते
गिरह ढीली होती
मन मिलते
कुछ मोती..."लब खुलते <br />गिरह ढीली होती <br />मन मिलते <br />कुछ मोती झरते <br />कुछ दंश हरते ।"<br />वाह ! अनुपम संगीता जी !<br /><br />"मझधार में<br />फँसे जब भी नाव<br />न पतवार<br />न हो खेवनहार<br />प्रभु लगाए पार ।"<br />सुंदर भावाभिव्यक्ति मुमताज़ जी ! बधाई !sushilahttps://www.blogger.com/profile/05803418860654276532noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7467012346932675254.post-45310331192498406262012-04-27T15:42:40.515+10:002012-04-27T15:42:40.515+10:00क्या खूब ताँका रचे हैं ………भावों का सुन्दर संगम हुआ...क्या खूब ताँका रचे हैं ………भावों का सुन्दर संगम हुआ है। अद्भुत संयोजन्।vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7467012346932675254.post-74155307440840596972012-04-27T12:45:24.724+10:002012-04-27T12:45:24.724+10:00बहुत सुन्दर ताँका रचे हैं आप दोनों ने ! मुमताज़ जी ...बहुत सुन्दर ताँका रचे हैं आप दोनों ने ! मुमताज़ जी के शब्दों में जादू है तो आपके मोती से शब्दों में सम्मोहन ! इन अद्भुत रचनाओं के लिये आप दोनों को बहुत-बहुत बधाई !Sadhana Vaidhttps://www.blogger.com/profile/09242428126153386601noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7467012346932675254.post-82899113577785777202012-04-27T12:33:43.854+10:002012-04-27T12:33:43.854+10:00गहन घन
छँट जाते पल में ,
उजली रेखा
भर देती मन म...गहन घन <br />छँट जाते पल में ,<br />उजली रेखा <br />भर देती मन में <br />अनुपम उल्लास ।... आपकी कलम की जयरश्मि प्रभा...https://www.blogger.com/profile/14755956306255938813noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7467012346932675254.post-71621727264902681062012-04-27T11:31:11.445+10:002012-04-27T11:31:11.445+10:00मझधार में
फँसे जब भी नाव
न पतवार
न हो खेवनहार
प्रभ...मझधार में<br />फँसे जब भी नाव<br />न पतवार<br />न हो खेवनहार<br />प्रभु लगाए पार ।......बहुत सुन्दर भाव ..!..और ...मौन से मुखर होती उल्लास की किरन तक सभी तांका बहुत सुन्दर हैं ...बधाई...!ज्योत्स्ना शर्माnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7467012346932675254.post-12795806583567718262012-04-27T05:29:17.885+10:002012-04-27T05:29:17.885+10:00बहुत सुन्दर भावपूर्ण ताँका मुमताज जी संगीता जी बहु...बहुत सुन्दर भावपूर्ण ताँका मुमताज जी संगीता जी बहुत बधाई।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7467012346932675254.post-72545787565788262662012-04-27T04:31:12.536+10:002012-04-27T04:31:12.536+10:00waaaaaaaaaaaaah kya baat hai.
maja aa gaya padh ka...waaaaaaaaaaaaah kya baat hai.<br />maja aa gaya padh kar.prem-jiwan ka ganit samjha diya.bahut sunderअनामिका की सदायें ......https://www.blogger.com/profile/08628292381461467192noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7467012346932675254.post-43960423669802496122012-04-27T04:19:51.887+10:002012-04-27T04:19:51.887+10:00वाह वाह लाजबाब ..सभी
संगीता जी गज़ब के भाव हैं.वाह वाह लाजबाब ..सभी <br />संगीता जी गज़ब के भाव हैं.shikha varshneyhttps://www.blogger.com/profile/07611846269234719146noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7467012346932675254.post-55414484753494325962012-04-23T02:56:21.056+10:002012-04-23T02:56:21.056+10:00मझधार में
फँसे जब भी नाव
न पतवार
न हो खेवनहार
प्र...मझधार में <br />फँसे जब भी नाव<br />न पतवार<br />न हो खेवनहार<br />प्रभु लगाए पार ।<br />बहुत सुंदर भाव हैं मुमताज़ जी हार्दिक बधाई.....<br /><br /><br />घना सन्नाटा <br />मौन की चादर में <br />दोनों लिपटे <br />न तुम कुछ बोले <br />न मैं ही कुछ बोली ।<br /><br />संगीत जी क्या खूब लिखा है........सच में मौन सन्नाटा बहुत भयंकर होता है. सुंदर भाव,<br />सादर,<br />अमिता कौंडलअमिता कौंडलnoreply@blogger.com