शुक्रवार, 26 अप्रैल 2019

860


रमेश कुमार सोनी
1
मेरा खजाना
लूटा जादू आँखों ने
मेरी आँखों से
वशीकरण वाली
मोहनी की मूरत
2
फटी बिवाई
घुँघरू दर्द गाते
भरे बाज़ार
खरीदते रईस ;
पैसे , पैरों में फेंके
3
सपने संग
नींद भी बिक जाती 
बड़े बाज़ार
नींद , रोटी सौतन
बारी-बारी मिलती
4
सत्य साबुत
अनुमान अंधा है
झूठ के गाँव
तंगदिली गलियाँ     
सच अकेला खड़ा
5
बिगुल बजे
सुख के ढोल भी गूँजे
दुःख की अर्थी
कनखियों से झाँके
आँसू , कराह सारे
6
रूप- मदिरा
पानी , बर्फ क्या डालूँ ?
सुर्ख ही पी ली
हुस्न वालों की गली
बहकना है मना
7
रात थकी है
रतजगा किया था
सीटी बजाते
जागते रहो बोले
जग कभी ना जागा !!
8
उठा नींद से
बाँग देता पूरब
गुम सपने
रोटी के बाज़ार में
सपने ही बिकते
9
दुःख कहता-
सुख से रह सुख
मत इतरा
दो दिन मेरा राज
वक्त से समझौता
-0-
जे.पी.रोड – बसना , जिला – महासमुंद [ छत्तीसगढ़ ]
पिन – 493554
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सोमवार, 1 अप्रैल 2019

859


ज्योत्स्ना प्रदीप
1
तेरी चाहत प्यारी
दे दी रे तुझको
उजली आभा सारी ।
2
घेरे तेरा साया
जीवन अँधियारा
रौशन तुझको पाया ।
3
ये साथ हमेशा रे
तेरा नाम जपे
तन का हर रेशा रे ।
4
तू  खुद  उजला राही
तुझसे रौशन है
नभ की नीली स्याही ।
5
ये प्रेम अनोखा है
दिल का भँवर कहे
अंतर्मन सोखा है ।
-0-