रविवार, 25 मार्च 2018

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बेटी तो प्यारी है
 -ज्योत्स्ना प्रदीप
1
बेटी तो प्यारी है
मेरे घर आई
ये मन आभारी है!
2
अधरों मोहक तानें
कलियों से झरते
मोती के कुछ दानें।
3
सुर-ताल अनोखा है
खुशबू का लोगो !
धीमा-सा झोंका है।
4
हर बात समझती है
वीणा-सी प्यारी
मीठी-सी बजती है।
5
वो जीवन की आशा
पढ़ लेती पल में
सुख-दुख की हर भाषा।
6
मन सुखमय करती है
प्यारा लेप बनी
हर पीड़ा हरती है।
7
फूलों-सी खिल जाती
भाग घने उसके
बेटी जो मिल जाती।
8
घर वह सुखकारी है
बेटी की बोली
बनती किलकारी है।
9
सुख-बेलें बढ़ती हैं
प्यारे पल हैं वे
जो बेटी पढ़ती हैं।
10
खुशबू वह प्यारी है
मन उसके ठहरो
वो खुद ही क्यारी है।
11
साँसों की हरकत है
बुरके के पीछे
वो ही तो बरकत है।
12
बेटी का ध्यान करो
मंत्र नहीं पढ़ना
चाहे न अज़ान करो।
13
मन पूजा की थाली
बेटा चावल-कण
बेटी तो है लाली।
14
मंगल ही करती है
समझो माता तुम
घर वह ही भरती है।
15
नभ पर छा जाती है
चंदा-सी बेटी
पग मान बढ़ाती है।
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3 टिप्‍पणियां:

'एकलव्य' ने कहा…

आदरणीय / आदरणीया आपके द्वारा 'सृजित' रचना ''लोकतंत्र'' संवाद मंच पर 'सोमवार' २६ मार्च २०१८ को साप्ताहिक 'सोमवारीय' अंक में लिंक की गई है। आपकी रचना लिंक की गई इसका अर्थ है कि आपकी रचना 'रचनाधर्मिता' के उन सभी मानदण्डों को पूर्ण करती है जिससे साहित्यसमाज और पल्लवित व पुष्पित हो रहा है। अतः आमंत्रण में आपको 'लोकतंत्र' संवाद मंच की ओर से शुभकामनाएं और टिप्पणी दोनों समाहित हैं। आप सादर आमंत्रित हैं। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/

टीपें : अब "लोकतंत्र" संवाद मंच प्रत्येक 'सोमवार, सप्ताहभर की श्रेष्ठ रचनाओं के साथ आप सभी के समक्ष उपस्थित होगा। रचनाओं के लिंक्स सप्ताहभर मुख्य पृष्ठ पर वाचन हेतु उपलब्ध रहेंगे।

दिगम्बर नासवा ने कहा…

बहुत सुन्दर ... हर बंध दिल को छू के गुज़रता है ...
बेटियाँ तो दिल के करीब होती हैं ... और आपके छंद बहुत संवेदनशील कर जाते हैं ...

ज्योति-कलश ने कहा…

बेटियों को समर्पित बहुत ही सुन्दर माहिया हैं !
हार्दिक बधाई ज्योत्स्ना जी !!