मंगलवार, 20 फ़रवरी 2018

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जुगल बन्दी : माहिया 
डॉ सुधा गुप्ता : ज्योत्स्ना प्रदीप 
1
गरमाहट नातों की
डोरी टूट गई
भेंटों-सौगातों की।- डॉ.सुधा गुप्ता
0
डोरी तो जुड़ जाती 
सागर जान गया  
नदिया उस तक आती ।- ज्योत्स्ना प्रदीप  
2
अब आँसू सूख  चले
रेत -भरी आँखों
सपना कोई न पले ।- डॉ.सुधा गुप्ता
0
कुछ सीपी हैं बाकी 
मोती झाँक रहे 
कैसी प्यारी  झाँकी !  ज्योत्स्ना प्रदीप  
3
जाना था तो जाते
लौट न पाएँगे
इतना तो कह जाते ।- डॉ.सुधा गुप्ता
0
 फिर तुम तक आना है
तुझ  बिन जग झूठा 
सब कुछ वीराना है !  ज्योत्स्ना प्रदीप  
4
सब दिन यूँ  ही बीते
बाती से बिछुड़े
हैं दीप पड़े रीते ।-डॉ सुधा गुप्ता
0
अब मिलने की बारी 
बाती   दीप  धरी 
जलने की तैयारी ।- ज्योत्स्ना प्रदीप  
5
अब नींद नहीं आती
रातें रस- भीनी
कोरी आँखों जाती ।- डॉ .सुधा गुप्ता
0
आँखें ना कोरी हैं 
देखो रस  बरसा 
वो चाँद चकोरी हैं।- ज्योत्स्ना प्रदीप
6
जब चाहो तब मिलना
पर यह वादा हो
फिर सितम नहीं करना ।- डॉ .सुधा गुप्ता
0
ये सितम नहीं गोरी 
कुछ मजबूरी थी 
बस  इतनीं -सी चोरी ।-ज्योत्स्ना प्रदीप  


12 टिप्‍पणियां:

ज्योति-कलश ने कहा…

बहुत भावप्रवण जुगलबंदी !!
3
जाना था तो जाते
लौट न पाएँगे
इतना तो कह जाते ।- डॉ.सुधा गुप्ता
0
फिर तुम तक आना है
तुझ बिन जग झूठा
सब कुछ वीराना है ! ज्योत्स्ना प्रदीप ....विरह ...और मिलन की तड़पा देने वाली उत्कंठा !!
हार्दिक बधाई दोनों रचनाकारों को ..नमन !!!

सुनीता काम्बोज ने कहा…

आदरणीया सुधा गुप्ता जी ,प्रिय ज्योत्स्ना जी क्या कमाल की जुगलबंदी रची है । आप दोनों को हार्दिक बधाई । ...सादर नमन 🙏🙏🙏🙏🙏

Sudershan Ratnakar ने कहा…

बहुत सुंदर जुगलबंदी। आ.सुधा जी एवं ज्योत्सना जी को हार्दिक बधाई

Shashi Padha ने कहा…

बहुत भावप्रधान, प्यारी सी जुगल बंदी| इन रचनाओं को पढ़ कर प्रेरणा ही मिलती है| आप दोनों को हार्दिक बधाई|

मंजूषा मन ने कहा…

बहुत सुंदर जुगलबंदी...

मंजूषा मन ने कहा…

बहुत सुंदर जुगलबंदी...

बेनामी ने कहा…

उत्तम जुगलबंदी
काम्बोज

Krishna ने कहा…

लाजवाब भावपूर्ण जुगलबंदी। आप दोनों को बहुत-बहुत बधाई।

Anita Lalit (अनिता ललित ) ने कहा…

अत्यंत सुंदर जुगलबंदी ! आदरणीया सुधा दीदी जी की लेखनी तो ही लाजवाब, उसपर ज्योत्सना प्रदीप जी के जवाब ..बहुत ख़ूब! आप दोनों की रचनात्मकता को नमन ! हार्दिक बधाई!!!

~सादर
अनिता ललित

Vibha Rashmi ने कहा…

आ. सुधा दी और ज्योत्सना प्रदीप के सुन्दर माहिया की जुगलबंदी । नहले पर दहला है या कहें तो सोने पर सुहागा है ये बेहतरीन जुगलबंदी ।आप दोनों को बधाई ।

2
अब आँसू सूख चले
रेत -भरी आँखों
सपना कोई न पले ।- डॉ.सुधा गुप्ता
0
कुछ सीपी हैं बाकी
मोती झाँक रहे
कैसी प्यारी झाँकी ! ज्योत्स्ना प्रदीप


Jyotsana pradeep ने कहा…

बहुत -बहुत आभारी हूँ आद.भैया जी और प्यारी बहन हरदीप जी की ,साथी ही आप सभी की !!
ये स्नेह बनाये रखियेगा !!

प्रियंका गुप्ता ने कहा…

अहा! इस जुगलबंदी में तो आनंद आ गया...| आप दोनों को बहुत बधाई...|