बुधवार, 8 फ़रवरी 2017

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1-सुदर्शन रत्नाकर

लो आया फिर
तुराज वसंत
धरा मुस्काई
ओढ़ चुनरी पीली
बही बयार
तन को सहलाती
खिले पलाश
ज्यों सूर्य अरुणाभ
महक उठी
छुपी आम्र मंजरी
ओस की बूँदें
धरा को नहलाएँ
सिर उठाए
तनी गेहूँ बालियाँ
रंगों के रेले
तितलियों के मेले
कोयल कूकी
भँवरों की गुँजार
धरा समेटे
झरे हरसिंगार
इन्द्रधनुषी
रंगीली वसुंधरा
सजा रूप निराला ।


2-सुनीता काम्बोज
1.
यूँ मत इंकार करो
इस भवसागर से
हे मोहन पार करो।
2.
हीरों से जड़ डाला
मुझसे पत्थर को
गुरुवर ने गढ़ डाला ।
3.
जीवन- सुर गा लेना
जब ये मन भटके
इसको समझा लेना।
4.
खुद्दारी खोई है
ऐसा लगता है-
मानवता सोई है।
5.
हर बार बड़ी कर दी
उसने नफरत की
दीवार खड़ी कर दी ।
6.
कल होली रूठ गई
आज अभागन से
रंगोली रूठ गई ।
-0-

13 टिप्‍पणियां:

सुनीता काम्बोज ने कहा…

मेरे माहिया छंद को त्रिवेणी ब्लॉग पर स्थान देने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया

सुदर्शन रत्नाकर जी बहुत सुंदर रचना हार्दिक बधाई आदरणीय

Vibha Rashmi ने कहा…

आ.सुदर्शन जी के वासंती चोके बहुत मनभावन हैंं।
धरा मुस्काई
ओढ़ चुनरी पीली
बही बयार।
प्रिय सुनीता काम्बोज के माहिया सुमधुर हैं । बहुत वधाइयाँ लौ।

हीरों से जड़ डाला
मुझसे पत्थर को
गुरुवर ने गढ़ डाला ।

सस्नेह विभा रश्मि

Jyotsana pradeep ने कहा…



ओस की बूँदें
धरा को नहलाएँ
सिर उठाए

बहुत सुंदरआद.रत्नाकर जी !!


हीरों से जड़ डाला
मुझसे पत्थर को
गुरुवर ने गढ़ डाला ।

गुरुवर के लिए अति निर्मल सुनीता जी भाव !!

आद. रत्नाकर जी और प्रिय सुनीता जी आपकी रचनाओं को पढ़कर आनंद आया ।
बधाई और शुभकामनाओं के साथ -
ज्योत्स्ना प्रदीप

सुनीता काम्बोज ने कहा…

सादर आभार आदरणीया आपके इस अनमोल स्नेह के लिए ह्रदय से आभारी हूँ

सुनीता काम्बोज ने कहा…

सादर आभार प्रिय सखी..आप सबकी प्रेरणा से ही लिख पाती हूँ

Unknown ने कहा…

अति सुंदर

Krishna ने कहा…

वाह! अति सुन्दर। बहुत सरस चोका और माहिया। सुदर्शन रत्नाकर जी तथा सुनीता काम्बोज जी आप दोनों को हार्दिक बधाई।

Pushpa mehra ने कहा…


सुंदर चोका और सुंदर माहिया के लिए सुदर्शन जी व सुनीता जी को बधाई|

पुष्पा मेहरा

सविता अग्रवाल 'सवि' ने कहा…

सुदर्शन जी ऋतुराज बसंत के आगमन पर रचा सुन्दर चोका और सुनीता काम्बोज जी के मनभावन माहिया हैं आप दोनों को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं |

सुनीता काम्बोज ने कहा…

आप सबके इस अनमोल स्नेह के लिए ह्रदय से आभारी हूँ ।

प्रियंका गुप्ता ने कहा…

बेहतरीन रचनाओं के लिए आप दोनों मेरी हार्दिक बधाई स्वीकारें...|

Anita Manda ने कहा…

सुदर्शन जी बसंत आगमन का सटीक चित्रण। बहुत उम्दा।
सुनीता जी बहुत अच्छे माहिये।

ज्योति-कलश ने कहा…

वसंत की सुन्दर, मोहक आवक ....अनुपम चोका !

हीरों के हार से मन हरते सुन्दर माहिया ..
आ सुदर्शन दीदी और सुनीता जी को हार्दिक बधाई !!