शनिवार, 29 अक्तूबर 2016

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1-ताँका
1-कृष्णा वर्मा
1
दीपों के सर
रोशनी का सेहरा
सहा ना जाए
गली नुक्कड़ मोड़
अमा धरे पहरा।
2
मल के गेरू
खड़िया के कटोरे
थे इतराए
आधी डूबी तेल में
वर्तिका भी नहाए
3
तोर सजे
चौखटें इतराईं
झूलीं कंदीलें
बाहें धर द्वार की
खुशियाँ मुस्कुराईं ।
4
ये नन्हे दीप
कुम्हार कलाकारी
गुम अँधेरा
प्रदीप्त वर्तिकाएँ
अमावस पे भारी।
5
उजली बाती
कोरे माटी के दीप
तन जलाएँ
उजाले की ख़ातिर
हँस पीड़ा पी जाएँ
6
सुबके रात
अमावस ने मेरा
चाँद लुकाया
जलाके तन लौ ने
रजनी को हर्षाया।
7
तम को भींचा
जलकर बाती ने
उजाला सींचा
अमावस घनेरी
दीप बना प्रहरी।
8
दीप संदेश
भेद गिले शिकवे
मन के क्लेश
रूठों को मनाकर
बना संबंध श्रेष्ठ।
9
जलाएँ दीप
रोशन हो संसार
हँसी-खुशी की
रंगोली से रंग दो
घर-आँगन द्वार।
-0-
2-सेदोका -डॉ सरस्वती माथुर
1
तमस मिटा
जगमग लौ जब
चंद्रमा- सी चमकी
दीपमालाएँ
देहरी द्वार पर
चाँदनी सी दमकी ।
2.
अखंड है लौ
आशा के दीप को भी
जला कर रखना
मन द्वारे को
अमावस्या हर के
रोशनी से भरना।
3.
देहरी -द्वारे
टँगे बंदनवार
झिलमिल लड़ियाँ
काली रातों में
करती उजियार
मनभावन त्यौहार ।
4.
दीपों की आभा
झिलमिल करती
तिमिर हटा कर ,
निशा की माँग
मावस की रात में
रोशनी से भरती।
5.
अन्तर्मन  को
दीपक तुम जल
ज्योतिर्मय करना
प्रेम -प्रीत से
जीवन- पथ में भी
सतरंग भरना।
6
दीप- सा मन
झिलमिल करता
अमृत- सा  झरता
तम  पी कर
चाँद- चाँदनी संग
अमावस  हरता  l
-0-
3-माहिया- डाँ सरस्वती माथुर
1
हर रात दिवाली है
जगमग आँगन की
कुछ बात निराली है।
2
हम तुम आन मिले
मन की चौखट पर
हैं जगमग दीप जले।
3.
अब रोज़  उजाला है
मन के आँगन में
दीपक इक बाला है ।
4
दीपों की हैं लड़ियाँ
मन हो रोशन तो
जलती हैं फुलझड़ियाँ
5.
दीपों का मेला है
काली रातों में
मन बहुत अकेला है ।
6
पथ पर एक दीप धरा
चली हवाएँ तो
नैनो में नीर भरा ।
7
काली है ये  रैना
जब वो आएँगे
तब आएगा चैना ।।
-0-

5 टिप्‍पणियां:

सविता अग्रवाल 'सवि' ने कहा…

कृष्णा जी और सरस्वती जी आपदोनो को मनभावन तांका ,सेदोका और माहिया सृजन पर हार्दिक बधाई |

Unknown ने कहा…

All are beatiful

Jyotsana pradeep ने कहा…

आप दोनों रचनाकारों का बहुत सुन्दर सृजन है !आँखों नें मानो दिवाली पल में बना ली हो !!!

बहुत मनमोहक !!!

ये नन्हे दीप
कुम्हार कलाकारी
गुम अँधेरा
प्रदीप्त वर्तिकाएँ
अमावस पे भारी।


पथ पर एक दीप धरा
चली हवाएँ तो
नैनो में नीर भरा ।
कृष्णा जी और सरस्वती जी.... हृदय- तल से बधाई !!!

ज्योति-कलश ने कहा…

बहुत सुन्दर प्रस्तुति ...सभी रचनाकारों को बहुत बधाई !

प्रियंका गुप्ता ने कहा…

मनभावन रचनाओं के लिए बहुत बधाई...|