गुरुवार, 28 जुलाई 2016

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अजब ये दुनिया
- जेन्नी शबनम 

यह दुनिया 
ज्यों अजायबघर 
अनोखे दृश्य 
अद्भुत संकलन 
विस्मयकारी 
देख होते हतप्रभ !
अजब रीत 
इस दुनिया की है 
माटी की मूर्ति 
देवियाँ पूजनीय 
निरपराध 
बेटियाँ हैं जलती 
जो है जननी 
दुनिया ये रचती !
कहीं क्रंदन 
कहीं गूँजती हँसी 
कोई यतीम 
कोई है खुशहाल  
कहीं महल 
कहीं धरा बिछौना 
बड़ी निराली 
गज़ब ये दुनिया !
भूख से मृत्यु 
वेदना है अपार 
भरा भण्डार 
सम्पत्ति बेशुमार
पर अभागा 
कोई नहीं अपना 
सब बेकार !
धरती में दरार 
सूखे की मार 
बहा ले गया सब 
तूफानी जल 
अपनी आग में ही 
जला सूरज 
अपनी रौशनी से  
नहाया चाँद 
हवा है बहकती 
आँखें मूँदती
दुनिया चमत्कार 
रूप-संसार !
हम इंसानों की है  
कारगुजारी 
हरे-घने जंगल 
हुए लाचार  
कट गए जो पेड़ ,
हुए उघार 
चिड़िया बेआसरा 
पानी भी प्यासा
चेत जाओ मानव !
वरना नष्ट 
हो जाएगी दुनिया 
मिट जाएगी 
अजब ये दुनिया 
गजब ये दुनिया !
-0-

गुरुवार, 21 जुलाई 2016

718



प्रेरणा शर्मा
1
विश्वबधुत्व
नुमाइश में रखा 

प्रेरणा शर्मा

 

जैसे ज़ेवर
ज़ेवर की चमक
करती लकदक।
2
शांति-प्रयास
शीतलअहसास
दिल में जगे
श्वेत कपोत सदा
 कोने-कोने से उड़े ।
3
अमन -माला
भारत ने पहनी
सौग़ात मिली-
जर्जर मानवता
स्वजन बलिदान।
4
बड़ी ताक़तें
संधियाँ-प्रतिबंध
लगा लूटती
विकास की ज़ंजीर
बेवजह खींचती।
5
ड़ोसी देश
ज़हर उगलते
विश्वासघाती।
भुजंग-पय-पान
मिलेगा विष-दान।
6
नाम तो पाक
हरकतें नापाक
बने हैं  साँप,
तेवर दग़ाबाज़
बड़ा पैंतरेबाज।
7
मुँह में राम
बग़ल में छुरी
झूठ ही झूठ
है पाक बेईमान
बडा बदमिज़ाज ।
8
ख़ून-खराबा
अस्त-व्यस्त जीवन
सहमी साँसें
भारती का दामन
बेबस-औ-लाचार।
9
बहुत हुआ
बंधुत्व का ज़ेवर
शांति की माला।
कोई लातों का भूत
कब बातों से माना!
10
कब तलक
सहनशील बनें
ज़हर पिएँ?
घाव दगा के सहें
प्रत्यंचा क्यों न तने?
11
जागो जगाओ
भुजबल सँभालो
देश बचाओ
पौरुष दिखलाओ
दुश्मन ललकारो।
12
जय भारत!
उद्घोष गगन में
गूँज हवा में।
दुश्मन थरथराए
भारत खिलखिलाए।
-0-
-प्रेरणा शर्मा,228- प्रताप नाग्र, खाती पुरा रोड, वैशाली नगर , जयपुर
राज-302021