रविवार, 27 सितंबर 2015

पावन साथ तुम्हारा



डॉहरदीप सन्धु
1
( चित्र:गूगल से साभार)
खोए रिश्ते मिलते
सूखे बागों में
पाटल मन के खिलते
2
हम जिस भी ओर चले
पथरीली राहें,
काँटों के छोर मिले।
3
रिमझिम बरसा पानी
नैनों की नदिया
कहती करुण कहानी।
4
कलकल बहती धारा
निर्मल जल -जैसा
पावन साथ तुम्हारा ।
5
मौसम सब प्यारे हैं
माही जब मिलता
तब जश्न, बहारे हैं
6
तुम धीरे से बोलो
मन की गगरी में
रस भावों का घोलो
-0-

18 टिप्‍पणियां:

Pushpa mehra ने कहा…

khoye rishte milate,sookhe bagon me.n,patal man ke khilate . bahut sunder mahiya hai.
anya sabhi mahiya bhi alag -alag bhavon se bhare bahut sunder hain.
pushpa mehra.

Anita Manda ने कहा…

बहुत मधुर मनभावन माहिया हरदीप जी । बधाई।

सुनीता अग्रवाल "नेह" ने कहा…

Sundar mahiya :)

सविता अग्रवाल 'सवि' ने कहा…

सभी माहिया खूबसूरत है विशेषकर
तुम धीरे से बोलो......
बधाई |हरदीप जी

Sudershan Ratnakar ने कहा…

सभी माहिया बहुत सुंदर हैं

Dr.Purnima Rai ने कहा…

माहिया विधान का बाखूबी निर्वाह किया आपने !!प्रकृति के साथ साथ मानवीय जीवन की विडबना को दर्शाते हुये श्रृंगार की सरस अभिव्यक्ति ने मन मोह लिया ।
बधाई डॉ०हरदीप जी !!!

Dr.Purnima Rai ने कहा…

माहिया विधान का बाखूबी निर्वाह किया आपने !!प्रकृति के साथ साथ मानवीय जीवन की विडबना को दर्शाते हुये श्रृंगार की सरस अभिव्यक्ति ने मन मोह लिया ।
बधाई डॉ०हरदीप जी !!!

Kamlanikhurpa@gmail.com ने कहा…

बधाई हरदीप जी आपके माहिया में झरने की कलकल है | बहुत भावपूर्ण

ब्लॉग बुलेटिन ने कहा…

ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, महान समाज सुधारक राजा राम मोहन राय - ब्लॉग बुलेटिन , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

Dr.Bhawna Kunwar ने कहा…

Bahut bhavpurn , komal prempurn mahiya bahut sari badhai...

Amit Agarwal ने कहा…

Behad sundar maahiya, Dr. Sandhu! Shubhkaamnayen!

kashmiri lal chawla ने कहा…

भावों साथ बहते माहिया

Jyotsana pradeep ने कहा…

manviy jeevan ki peeda ko prakrti ke saath badi sundarta se darshaya hai aapne hardeep ji ...sabhi mahiya manmohak !....badhai aapko !

ज्योति-कलश ने कहा…

बहुत निर्मल , पावन भावधारा प्रवाहित करते माहिया ...

तुम धीरे से बोलो
मन की गगरी में
रस भावों का घोलो ...अनुपम !!

हार्दिक बधाई डॉ. हरदीप जी !

मंजूषा मन ने कहा…

बहुत बहुत सुन्दर माहिया हरदीप जी

हर माहिया अपने भाव खूबसूरती से व्यक्त कर रहा है

बधाई

Unknown ने कहा…

प्रेम विरहा और मिलन के भावों को संजोये माहिया मन में भाव गंगा बहा गये। सुंदर सरस रचना। हरदीप जी बहुत बहुत बधाई।

Krishna ने कहा…

बहुत सुन्दर भावपूर्ण माहिया हरदीप जी....हार्दिक बधाई!

प्रियंका गुप्ता ने कहा…

हम जिस भी ओर चले
पथरीली राहें,
काँटों के छोर मिले।
कितनी सच्ची बात कही है...| बहुत बेहतरीन माहिया हैं सभी...| हार्दिक बधाई...|