मंगलवार, 1 सितंबर 2015

बहे कच्चे सपने,



1-अनिता मण्डा
1
प्यारी बहना
नभ कलाई पर
बाँधी सूरज राखी,
राजा भैया ने
चाँद का पूरा सिक्का
आज नेग में दिया।
2
चपल चंदा
बिखेरता चाँदनी
सागर लहरों में,
लगा डूबने
बटोर सीप-मोती
बचाया लहरों ने।
3
चाँद का सिक्का
गुल्लक में नभ ने
हर पूनो को डाला,
कौन ले गया
पाई-पाई जोड़ी थी
गुल्लक खाली मिला।
4
अश्रु-धारा में
गीली मिट्टी से बने
बहे कच्चे सपने,
दुःख की आँच
रही है तुझे बाँ
देख सच्चे सपने।
-0-

2-डॉ सरस्वती माथुर
1
बंसी बजाती
पुरवाई है गाती
दूर किनारे
आदिम निर्झरों के
राग- रंग सुनाती
2
चाँदनी -रथ
चाँद की चिरौरी से
नभ पे रुका
चाँद तारों को छे
धरा पर जा झुका
3
मन पैगाम
चाँद पे लिख भेजा
तमाम रात
जलपाखी सा उड़ा
खामोश चाँदनी पे
4
जलतरंग
गीत संगीत - छन्द
मृदंग बन
गूँजती हैं लहरें
भीग जाता है मन
5
ना  जाने कब
शहर से हो गए
गाँव खो ग
संवाद अनजान
चुप्पियाँ पहचान
-0-

14 टिप्‍पणियां:

Anita Manda ने कहा…

आदरणीय संपादक द्वय मुझे यहां स्थान देने हेतु आभार।

सरस्वती जी बहुत सुंदर ताँका हैं आपके ।सारे अच्छे लगे पर
विशेष लगा:-
चाँदनी -रथ
चाँद की चिरौरी से
नभ पे रुका
चाँद तारों को छेड़
धरा पर जा झुका ।

Manju Gupta ने कहा…

प्यारी बहना
नभ कलाई पर
बाँधी सूरज राखी,
राजा भैया ने
चाँद का पूरा सिक्का
आज नेग में दिया।
vyaapktaa lie hue sbhi rchanaa men sundr bhaav ,

डॉ सरस्वती माथुर 1 बंसी बजाती पुरवाई है गाती दूर किनारे आदिम निर्झरों के राग- रंग सुनाती ।

sbhi men maarmik snbd chitran

aap donon ko badhai

प्रियंका गुप्ता ने कहा…

अनिता जी...क्या खूबसूरत सेदोका...| बहुत बधाई...|
सरस्वती जी...आपके तांका बहुत मन भाए...| हार्दिक बधाई...|

ज्योति-कलश ने कहा…

bahut sundar neg anita ji ..badhaii !

sundar taankaa Sarsvati ji ..badhaii !

kashmiri lal chawla ने कहा…

अति सुंदर

Jyotsana pradeep ने कहा…

anita ji evam sarswati ji bahut -bahut badhai itne pyare sedoka v taanka likhne ke liye .

Madan Mohan Saxena ने कहा…

सुन्दर चित्रांकन
कभी यहाँ भी पधारें

Pushpa mehra ने कहा…

sabhi sedoka aur tanka bahut sunder hain .anita ji va mathur ji badhai.
pushpa mehra.

सविता अग्रवाल 'सवि' ने कहा…

अनीता जी और सरस्वती जी आप दोनों को इस सुन्दर रचना के लिए हार्दिक बधाई |

Unknown ने कहा…

अनिताजी एवम् सरस्वती जी आप दोनों की रचनाये अच्छी लगी चाँद का सिक्का...गोल्लक खाली मिली पूर्निमा से अमावस तक की कहानी कह गई ।
और यह वाली ...न जाने कब / शहर हो गये...गाँव खो गये । गाँवों की मार्मिक व्यथा व्यानती भा गई ।वधाई दोनों को।

Dr.Bhawna Kunwar ने कहा…

bahut maasum si lagi rachnayen sneh pagi si gullak,caand,suraj rakhi...bahut bahut badhai..

kashmiri lal chawla ने कहा…

All is well and hidden message

Anita Manda ने कहा…

आप सबके असीम स्नेह हेतु दिल से आभार।

Krishna ने कहा…

बहुत सुन्दर.....अनिता जी, सरस्वती जी हार्दिक बधाई!