बुधवार, 9 सितंबर 2015

629-'ये नाम के अपने'



अनिता ललित
1
अपने बाँटें
जब काँटे ही काँटे
ठेस भरी सौगातें,
चुभती बातें !
चिलकता है मन
हो बोझिल जीवन।
2
देते हैं धोखा
पहन के मुखौटा
ये नाम के अपने
लगाते गले
दवा के नाम पर
दें ज़हर का प्याला।
3
शब्दों के बाण
जब-तब चलाते
आहत कर जाते
दिखाते शान
ये लेते नहीं प्राण
देते ज़िंदा ही मार।
4
आशा की डोर
कोई ओर न छोर
बरबस ही बाँधी,
सन्तान- संग-
हुई कैसी ये भूल
है किसका क़ुसूर ?
5
झूठे हैं रिश्ते
हैं बातें मिलावटी
जब नीयत खोटी
ओ मेरे ख़ुदा !
नहीं पुकारता क्या
अब ख़ून, ख़ून को?
-0-

8 टिप्‍पणियां:

Anita Manda ने कहा…

अनिता ललित जी बेहद खूबसूरत सारे सेदोका। हार्दिक बधाई।

ज्योति-कलश ने कहा…

बहुत-बहुत मार्मिक सेदोका अनिता जी !
बहुत कुछ सोचने के लिए विवश कर गए ...
सशक्त सृजन की हार्दिक बधाई !

Manju Gupta ने कहा…

उत्कृष्ट सेदोको यथार्थ के धरातल पर सटीक हैं
बधाई

Krishna ने कहा…

रिश्तों का खुलासा करते मार्मिक सेदोका अनीता जी....हार्दिक बधाई ।

Dr.Bhawna Kunwar ने कहा…

gahan abhivaykti..bahut bahut badhai...

Jyotsana pradeep ने कहा…

YATHARTH KI KASAUTI PAR EAKDAM KHARE SEDOKA ...BEHAD KHOOBSURTI KE SAATH PRASTUT KIYEN HAIN AAPNE ANITA JI !.....HARDIK BADHAI .

Anita Lalit (अनिता ललित ) ने कहा…

आप सभी का हृदय से आभार !

~सादर
अनिता ललित

प्रियंका गुप्ता ने कहा…

बहुत भावप्रवण सेदोका हैं सभी...पर ये तो मन को बहुत छू गया...|
शब्दों के बाण
जब-तब चलाते
आहत कर जाते
दिखाते शान
ये लेते नहीं प्राण
देते ज़िंदा ही मार।

बहुत बड़ा सच है ये...| अगर ऐसे शब्द बाण चलाने वाला आपका कोई अपना होता है, तब तो ज़िंदगी दूभर करने में ऐसे लोग बिलकुल नहीं सोचते...|
सुन्दर सेदोका के लिए हार्दिक बधाई...|