शनिवार, 25 जुलाई 2015

मेरी आँखों का तारा



1-माहिया-सपना मांगलिक
1
चल हों जग से ओझल
यूँ ही कुछ कर लें
हम अपना प्रेम सफल
2
बेजा क्यों प्यार किया
देना ही था गम
 ये क्यूँ उपकार किया
3
गीत मधुर जीवन का
दिल नादाँ गा रे
मनमीत मिला मन का
4
फैले जग उजियारा
चंदा सा दमके
मोहक रूप तिहारा
-0-
2-ताँका-अनिता मण्डा
1
उलझे रोज़
ईयरफोन जैसी
ज़िन्दगी यह
सुलझाया जब भी
उलझी हुई मिली ।
2
गिरते रहे
रात भर झील में
खिलते रहे
महकते कमल
चमकते तारों के।
3
बिखर जाती
हाथों से निकल के
चाँदनी रातें
यादों की डगर पे
चल देती तन्हां ये।
4
मिली तपिश
समंदर का पानी
हो गया मीठा
ऊपर उठकर
बादल बन गया।
5
आसमाँ तेरे
आँगन में सितारे
कम नहीं थे
नहीं लेते मुझसे
मेरी आँखों का तारा।
6
क्या पता चाँद
सिसकता रहा क्यों
रात भर से
सिरहाने के पास
जाने क्या था कहना?
7
रातें अपनी
इबारतें हैं जैसे
दर्द से लिखी
दिन  बँटे-बँटे से
गुजर ही जाते हैं।
-0-

9 टिप्‍पणियां:

Krishna ने कहा…

बेजा क्यूँ प्यार किया
देना ही था गम
ये क्यूँ उपकार किया।.....बहुत सुन्दर सपना जी!

आसमा तेरे /आँगन में सितारे....
रातें अपनी / इबारतें हैं जैसे.....दोनों ताँका बहुत मन को छुए!

अनीता मण्डा जी, सपना जी.....बहुत बधाई!

ज्योति-कलश ने कहा…

सुन्दर प्रस्तुति ..

बेजा क्यों ....मिली तपिश और आसमाँ तेरे ..बहुत भावपूर्ण रचनाएँ !

सपना जी एवं अनिता जी को हार्दिक बधाई !

Shashi Padha ने कहा…

सपना जी, चल हों जग से ओझल
यूँ ही कुछ कर लें
हम अपना प्रेम सफलखूबसूरत माहिया हैं, सब से सुन्दर है -- बधाई आपको |

रातें अपनी
इबारतें हैं जैसे
दर्द से लिखी
दिन बँटे-बँटे से
गुजर ही जाते हैं। बहुत खूब अनिता जी, सभी तांका गहरी सोच लिए | बधाई इस प्रस्तुति के लिए |

शशि पाधा

Unknown ने कहा…

सुन्दर रचनायें.आप दोनो को बधाई.

Unknown ने कहा…


सभी माहिया बहुत अच्छे लगे सपना मांगलिक जीऔर अनिता मण्डा आप के ितांका एक से बढकर एक बहुत मन को भाये ।जैसे - बिखर जाती ... और यहवाला मिली तपिश / समन्दर का पानी हो गया मीठा / उपर उठकर / बादल बन गया ।यह वाला बड़ा मार्मिक लगा --- आसमाँ तेरे / आँगन में सितारे / कम नही थे / नही लेते मु झ से / मेरी आँखों का तारा ।
दोनों रचना कारों को बहुत बहुत वधाई
कमला घटाऔरा

Dr.Bhawna Kunwar ने कहा…

बेजा क्यों प्यार किया
देना ही था गम
ये क्यूँ उपकार किया

bahut khub ! bahut bahut badhai..
आसमाँ तेरे
आँगन में सितारे
कम नहीं थे
नहीं लेते मुझसे
मेरी आँखों का तारा।

bahut marmik,meri badhai...

Anita Lalit (अनिता ललित ) ने कहा…

सुंदर माहिया ! विशेषकर--
बेजा क्यूँ प्यार किया
देना ही था गम
ये क्यूँ उपकार किया।... बहुत अच्छा लगा !
हार्दिक बधाई सपना जी !

ताँका पढ़कर क्या कहें! निःशब्द हैं हम ! बहुत दुखभरा एहसास है ! विशेषकर 'आँख का तारा'...
दिल तक पहुँचने वाले इस सृजन के लिए आपको हार्दिक बधाई अनीता मंडा जी !

~सादर
अनिता ललित

Anita Manda ने कहा…

आप सभी का हार्दिक आभार

प्रियंका गुप्ता ने कहा…

बहुत सुन्दर माहिया और तांका...हार्दिक बधाई...|