रविवार, 19 जुलाई 2015

तूफ़ान घिरा मन में



1-अनिता ललित
1
तूफ़ान घिरा मन में
नींद कहीं खोई
काँटों के इस वन में
2
दिल के खेल निराले
दुनिया से जीते
पर अपनों से हारे।
3
सपनों में आती हैं
बचपन की गलियाँ
यूँ पास बुलाती हैं।
4
क्या भादों  क्या सावन
नैना तो बरसें
सूखा दिल का आँगन।
5          
सब अलग हुई राहें
अपने बीच बची
बस सर्द-बुझी आहें।
6
पालें रहकर भूखे
दुःख माँ-बाप सहें
सुख -सागर सब सूखे
7
भूली-बिसरी यादें
पलकों पर जागें
करती हैं फरियादें।
8
बीच न तेरे-मेरे
चाहत के वादे
यादें क्यों हैं घेरे ?
9
तन-मन जिस पर वारा
आँखों का तारा
भूला! आज किनारा।
10
कैसी ये मजबूरी
पास रहे फिर भी
ना मिट पाई दूरी। 
-0-
डॉ आशा पाण्डेय

1

मनमीत तुम्हीं जानो

बातें मेरे मन की
तुम मानो ना मानो ।
2
भर-भर आती  आँखें
उड़ना ही होगा
छूटेंगी ये शाखें।
3
बोली में कडुआहट
वार करे दिल पर
होती है अकुलाहट।
4
बादल जो घूम रहे
गागर भूले घर
बिन पानी झूम रहे।
5
पूजा का थाल लिये
द्वार खड़ी तेरे
नैनों का ताल लिये।
-0-
 

12 टिप्‍पणियां:

Krishna ने कहा…

बहुत सुन्दर माहिया अनीता जी। ९वाँ और १०वाँ विशेष लगे....बधाई!
आशा जी... पूजा का थाल लिए...बहुत सुन्दर माहिया...बधाई!

Unknown ने कहा…

धन्यवाद कृष्णा जी.सरस्वती माथुर जी तथा रामेश्वर जी के प्रोत्साहन और प्रेरणा से मैं माहिया लिखना शुरू की.आप दोनोको भी धनयवाद

Pushpa mehra ने कहा…

sabhi mahiya dil ko chhoone vale hain. anita ji va asha ji badhai.
pushpa mehra.

Dr.Bhawna Kunwar ने कहा…

तूफ़ान घिरा मन में
नींद कहीं खोई
काँटों के इस वन में
Javab nahi..bahut bahut badhai...

Dr.Bhawna Kunwar ने कहा…

भर भर आती आँखें
उड़ना ही होगा
छूटेंगी ये शाखें।

Bahut bhavpurn...bahut bahut badhai...

Anita Lalit (अनिता ललित ) ने कहा…

धन्यवाद एवं आभार...कृष्णा दीदी, पुष्पा जी, भावना जी !
आशा जी... 'भर भर आती आँखें...', 'पूजा का थाल...' मन को छू गए ।

~सादर
अनिता ललित

Manju Gupta ने कहा…

10
कैसी ये मजबूरी
पास रहे फिर भी
ना मिट पाई दूरी।
ytaarth k sundr shabd chitr .
पूजा का थाल लिये द्वार खड़ी तेरे नैनों का ताल लिये। vaah
aap dono ko badhai

kashmiri lal chawla ने कहा…

सुंदर

ज्योति-कलश ने कहा…

मर्मस्पर्शी माहिया हैं अनिता जी ,आशा जी ...
तूफ़ान घिरा ,आँखों का तारा , भर-भर आती और पूजा का थाल बहुत प्यारे लगे |

आप दोनों रचनाकारों को बहुत-बहुत बधाई !

प्रियंका गुप्ता ने कहा…

बहुत सुन्दर और भावप्रवण माहिया हैं अनिता जी और आशा जी...आप दोनों को बधाई...|

Jyotsana pradeep ने कहा…

तूफ़ान घिरा मन में
नींद कहीं खोई
काँटों के इस वन में bahut sundar v bhaavpranav anita ji ....shubhkaamnao ke saath -

Jyotsana pradeep ने कहा…

भर-भर आती आँखें
उड़ना ही होगा
छूटेंगी ये शाखें।
bahu khoobsurat, katu saty ke saath....sadar naman ke saath badhai bhi asha ji .