गुरुवार, 2 जुलाई 2015

बाट निहारें अँखियाँ

अनिता मण्डा
1

झर-झर बरसे नैना

कह न जिसे पाएँ

वो बातें क्या कहना ?

2

आँखें जब भी रोतीं

यादों के पाखी

चुग ले जाएँ मोती।

3

काँटे बींधें तन को

पीर छुपा हँसती

खुशबू भाए मन को।

4

खिलती मन में कलियाँ

भूलें ना बचपन

बाबुल तेरी गलियाँ।

5

बाट निहारें अँखियाँ

बागों में झूलें

सावन में सब सखियाँ।

-0-

7 टिप्‍पणियां:

kashmiri lal chawla ने कहा…

खूब

Krishna ने कहा…

खिलतीं मन में कलियाँ....बहुत सुन्दर माहिया....बधाई अनिता मण्डा जी!

Dr.Bhawna Kunwar ने कहा…

आँखें जब भी रोतीं

यादों के पाखी

चुग ले जाएँ मोती।

bahut khub! bahut bahut badhai...

Anita Manda ने कहा…

मेरे माहिया को यहां स्थान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद।
आप की टिप्पणियों के लिए दिल से शुक्रिया।

ज्योति-कलश ने कहा…

sundar mahiya ke liye bahut badhaii ..shubh kaamanaayen Anita ji !

सविता अग्रवाल 'सवि' ने कहा…

अनिता जी बहुत खूब माहिया रचे हैं |बधाई |

प्रियंका गुप्ता ने कहा…

आँखें जब भी रोतीं

यादों के पाखी

चुग ले जाएँ मोती।

बहुत सुन्दर माहिया हैं सभी...हार्दिक बधाई...|