रविवार, 22 मार्च 2015

तुमको पा लूँ

सपना मांगलिक
1
तुमको पा लूँ
या मौत को फिर मैं
गले लगा लूँ
जालिम है दुनिया
मैं सर क्यों झुका लूँ !
2
दिल रोशन
बस तुम्हें देखके
होता साजन,
तू जो नहीं तो दीये
बुझे बिन कारण
3
रात होती है
कहाँ उसमें वैसी
बात होती है ,
नीदों में न ख्वाबों में
मुलाकात होती है
4
ख्वाब ये तेरा
था कल तक मेरा
हुआ सवेरा
टूटे सब सपने
छाया घोर अँधेरा
5
घुटा -घुटा -सा
कुछ है मन में जो
दबा दबा- सा
घर जहाँ ख्वाबों का
वो नगर जला है ।
6
इश्क- गुबार
कैसे करार
है इन्तजार
वो दिखे तो बहार
मिले जी को करार
7
सिन्धु गहरा
मौज उसकी मैं ,वो
साहिल मेरा
मिलने जाऊँ कैसे
है तूफानों का डेरा
8
वो कैसा होगा
सपनों -जैसा होगा
जो मेरा होगा
घूमेगा इर्द- गिर्द
कोई  भँवरा होगा
9
यही जुस्तजू
हो तू मेरे रूबरू
हुआ सुर्खरू
इसी अदा ने लूटा
है दिल में बस तू
10
गुनाहगार
कहूँ या कहूँ तुझे
असरदार
है रकीब तो क्यूँ ये
दिल तलबगार
11
प्यार या रार
जीतता सदा ही वो
मैं जाती हार
मेरी हार उसको
प्यार का उपहार
12
जब तू मिला
सच दिल का मेरे
चमन खिला
हुई खता बोलो क्या
रूठे तुम क्यूँ भला
-0-

मोबाइल 9548509508

7 टिप्‍पणियां:

Dr.Bhawna Kunwar ने कहा…

रात होती है
कहाँ उसमें वैसी
बात होती है ,
नीदों में न ख्वाबों में
मुलाकात होती है ।

Dard ko bakhubi vuakt karti rachna bahut abhut badhai achhe lekhn ke liye...

ज्योति-कलश ने कहा…

बेहद ख़ूबसूरत ताँका !
सभी एक से बढ़कर एक ...हार्दिक बधाई !

Anita Lalit (अनिता ललित ) ने कहा…

वाह! सभी ताँका एक से बढ़कर एक! किसी एक को अच्छा बताना मुश्किल है...
पढ़कर मज़ा आ गया -कुछ नई बात तो है ! बहुत ख़ूबसूरत सपना मांगलिक जी !

~सादर
अनिता ललित

Shashi Padha ने कहा…

खूबसूरत सपने से मनभावन तांका | प्रकृति एवं अनुभूति का सुन्दर सम्मिश्रण | बधाई सपना जी |

मेरा साहित्य ने कहा…

प्यार या रार
जीतता सदा ही वो
मैं जाती हार
मेरी हार उसको
प्यार का उपहार ।
kya hi sunder uphar hai haar ki jeet ka
sunder
rachana

Jyotsana pradeep ने कहा…

behad khoobsurat sapna ji .badhai .

प्रियंका गुप्ता ने कहा…

ख्वाब ये तेरा
था कल तक मेरा
हुआ सवेरा
टूटे सब सपने
छाया घोर अँधेरा ।
बहुत सुन्दर...| हार्दिक बधाई...|