सोमवार, 18 अगस्त 2014

मधुर तेरी तान



अनिता ललित


ओ मेरे कान्हा!

तू है मेरा सहारा।

पालनहारा !

तू ही खेवनहारा।

मोर मुकुट !

तेरा रूप सलोना

दिल लुभाए

हो जग उजियारा !

आँसू की धार,

जीवन मझधार,

बंसी की धुन

है पतवार मेरी !

ये प्यारी हँसी

दुःख-दर्द निवारी।

मेरा जीवन

है तुझको अर्पण।

मैं हूँ निश्चिन्त

आके तेरी शरण।

मुरलीधर!

मधुर तेरी तान!

मुझे दो शक्ति

मेरी विपदा हरो।

राह दिखाओ !
दिल में बस जाओ

त्कर्म मेरे-

बनें पूजा-अर्चना

तेरी भक्ति-वन्दना।

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3 टिप्‍पणियां:

Manju Gupta ने कहा…

राह दिखाओ !
दिल में बस जाओ

सत्कर्म मेरे-

बनें पूजा-अर्चना

तेरी भक्ति-वन्दना।
मनमोहित पंक्तियाँ
इनकी कृपा से सुंदर चोका लिखा है , बधाई .

ज्योति-कलश ने कहा…

कृष्ण के प्रति भक्ति भाव से परिपूर्ण बहुत सरस मोहक चोका ..बहुत बधाई !

Jyotsana pradeep ने कहा…

bhakti ras chalkata krishan bhagvaan par likha sunder v saras choka. badhai anita ji.