सोमवार, 4 अगस्त 2014

यह प्यार अनोखा है



माहिया
शशि पाधा
1
 यह प्यार अनोखा है
मन जब हीर हुआ
कब,किसने रोका है ।
2
 राँझा क्या गाता है
गीतों के सुर में
मन पीर सुनाता है
3
 सागर जल खारा है
किरणों से पूछो
उनको तो प्यारा है
4
 लो बदरा बरस गए
धरती प्यासी थी
चुप आके सरस गए
5
यह भाषा कौन पढ़े
नैना कह देते
अधरा हैं मौन जड़े।
6
यह चुप ना रहती है
साँसें बोलें ना
धड़कन सब कहती है
7
कैसी मनुहार हुई
कल तक रूठे थे
अब मन की हार हुई
8
 मन पंछी उड़ता है
सपने पंख बने 
रोके न रुकता है 
9
दोनों ने ठानी है
राधा कह दे जो
मीरा ने मानी है 
10
बिन पूछे जग जाने
प्रेम किया जिसने
वो रब को पहचाने।
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