शुक्रवार, 30 मई 2014

शेष को बचाना है,

डॉ अनिता कपूर (अमेरिका कैलिफोर्निया)
1-सेदोका
1
ले जाओ सब
वो जो तुमने दिया
शेष को बचाना है,
सँभालने में
आधी चुक ग हूँ
भ्रम को हटाना है
-0-
2-ताँका
1
रो रही रात
बुला रही चाँद ओ
तारों को भी
डरती- सिसकती
अमावस्या है आज
2
सागर से ही
पानी ले -लेकरके
बादल आया
बरस गया पर
प्यासा रहा सागर
3
रोज़ जलाता
सूर्य का ताप मेरे
मन का अहं
उग जाती फिर से
ई  फ़स्लें  रिश्तों की
4
कह जो दिया
चले आओ अब तो
चाहिए मुझे
तपती धरा पर
दो ही  बूँद  हमारी
-0-







2 टिप्‍पणियां:

Jyotsana pradeep ने कहा…

MAN KI KOMAL BHAAVNAO KO BAHUT HI KHOOBSURTI SE UKERA HAI AAPNE ....SEDOKA V TAANKO MEIN ....ANITA JI..SABHI NE MAN MOH LIYA..... PAR...ROZ JALATA SURY KA TAAP.....KAH JO DIYA ....YATARTH KI GAHANTA SAMETE...LAJAWAAB.....BADHAI

ज्योति-कलश ने कहा…

बहुत भाव पूर्ण भावाभिव्यक्ति ..बधाई अनिता जी !!