शनिवार, 3 मई 2014

मन का सूना कोना




डॉ सरस्वती माथुर
1
कैसे काटें रातें
यादों में आतीं
भूली -बिसरी बातें
2
घर का रीता आँगन
तुम किस देस गए
लागे ना  मोरा मन
3
मन को कैसे थामें
सजन  बता जाना
सूनी लगती शामें
4
उड़ता मन का पाखी
तेरी यादों की
हाला मैंने चाखी
5
मन का सूना कोना
जाने कब होगा
अब यादों का गौना
6
नभ में सावन छाया
मुझसे मिलने को
साजन था घर आया
7
पुरवा सीली -सीली
तेरी यादों ने
आँखें  कर दी गीली
8
सपने मैंने बो
तुम जब आए तो
मिल कर थे हम रो
 -0-

7 टिप्‍पणियां:

Subhash Chandra Lakhera ने कहा…

Apke sabhee " Mahiya" manav man kee anubhootiyon ko behad sundar shabdon men vyakt karte hain . Apko naman !

Krishna ने कहा…

सरस्वती जी बहुत सुन्दर माहिया विशेष कर ५ वाँ और ७ वाँ बहुत मन भाए.....बहुत-२ बधाई !

सविता मिश्रा 'अक्षजा' ने कहा…

बहुत सुन्दर

rbm ने कहा…

mathur ji apake sabhi mahiya bahut achhe likhe hain.badhai.
pushpa mehra .

Manju Gupta ने कहा…

उत्कृष्ट माहिया .
बधाई .

Jyotsana pradeep ने कहा…

sarswatiji bahut khoobsurat haiku likhe hai aapne vishesh lage4th,5th.....alag hi...badhai

प्रियंका गुप्ता ने कहा…

बहुत सुन्दर और भावपूर्ण माहिया...बधाई...|