शुक्रवार, 4 अप्रैल 2014

बीते कल की बातें

शशि पाधा
1
आस- निरास
बीते कल की बातें
आओ अब  सुना दें,
नूतन गान
लिखें नव विधान
सुख से पहचान
2
गत- विगत
चला अंगुलि थाम
भावी के पथ पर,
दीप स्तम्भ- सा
बाबा यूँ तर्जनी से
दिखाए सही बाट
3
कुछ खो  गया
कटघरे में बंद
घनेरे  अँधेरों में
अक्सर देखा -
यादों की झिर्रियों से
खामोश बीता कल

-0-

7 टिप्‍पणियां:

डॉ. जेन्नी शबनम ने कहा…

तीनों सेदोका बहुत भावपूर्ण हैं. सकारात्मक सा भाव लिए हुए. यह एक सबसे ज्यादा ख़ास लगा, जैसे हम सब के मन की बात...
कुछ खो गया
कटघरे में बंद
घनेरे अँधेरों में
अक्सर देखा -
यादों की झिर्रियों से
खामोश बीता कल ।

शशि जी को बहुत बधाई.

Anita Lalit (अनिता ललित ) ने कहा…

जो बीता सो कल, आओ, चलो देखें कल ....
सुन्दर भाव, सुन्दर भाषा... बहुत सुन्दर सन्देश !
हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ शशि जी !!!

~सादर
अनिता ललित

Pushpa mehra ने कहा…

gat-vigat,bhavi ke path par,chala aungali tham......,kuch kho gaya.....
bahut sunder sedoka hain. sashi ji apako bahut badhai .
pushpa mehra.

Manju Gupta ने कहा…

वक्त के उत्कृष्ट सेदोका
बधाई .

प्रियंका गुप्ता ने कहा…

कुछ खो गया
कटघरे में बंद
घनेरे अँधेरों में
अक्सर देखा -
यादों की झिर्रियों से
खामोश बीता कल ।
बहुत खूब...बधाई...|

Shashi Padha ने कहा…

प्रियंका जी,मंजु गुप्ता जी पुष्प् महरा जी,जेन्नी शबनम जी, अनिता ललित जी , आप सब का आभार |

Shashi Padha ने कहा…

आप सब के स्नेह के लिए आभार | लेखन के लिए यह ऊर्जा और कहीं से नहीं मिल सकती |

सस्नेह,

शशि पाधा