सोमवार, 24 मार्च 2014

तपते दुःख

1-अनिता ललित
1
सुख की नदी
बहती कल-कल
संग अपने
बहा ले जाती सभी
सूखे दुःख-तिनके !
2
पतझर में
झरते दुःख-पात
दे देते राह
सुख की कलियों को
जीवन-बसंत को !
3
तपते दुःख
थम जाते दिल में
लाते मुस्कान
जब भी याद आते
सुख-चाँदनी तले।
4
सोया था सुख
जीवन-सिंधु तीर
आया तूफ़ान
दुःख-लहरें डूबीं
सुख जाग के तैरा।
-0-
2- कृष्णा वर्मा
1
वही मिटें जो
करें ना वक्त प्रतीक्षा
सीली काठ सा
धुँआए है जीवन

दे दे अग्नि-परीक्षा ।

10 टिप्‍पणियां:

Anita Lalit (अनिता ललित ) ने कहा…

भावपूर्ण ताँका कृष्णा जी !

~सादर
अनिता ललित

Manju Gupta ने कहा…

सुंदर शब्दों के चयन की सुंदर रचनाएँ .

बधाई

Pushpa mehra ने कहा…

soya tha sindhu.......,evam vahi miten, ,jo karen na vakht pratixa........
anita ji va krishna ji ap dono ke tanka bahut hi sarthak hain. badhai.
pushpa mehra.

shashi purwar ने कहा…

sundar bhav bhare tanka , anita ji krishna ji hardik badhai

सविता मिश्रा 'अक्षजा' ने कहा…

बहुत बढ़िया

ज्योति-कलश ने कहा…

सभी ताँका सुन्दर हैं ..
'पतझर में ' और 'अग्नि-परीक्षा' बहुत अच्छे लगे ...हार्दिक बधाई अनिता जी एवं कृष्णा जी

प्रियंका गुप्ता ने कहा…

खूबसूरत...भावपूर्ण तांका के लिए बधाई...|

Jyotsana pradeep ने कहा…

sukh ,dukh ki amit kahani kahte.bahut khoobsurat taanke anitaji..
सुख की नदी
बहती कल-कल
संग अपने
बहा ले जाती सभी
सूखे दुःख-तिनके !


dhuaye hai jeevan.......
krishnaji.......bahut hi sunder taanka

Krishna ने कहा…

बहुत सुन्दर भावपूर्ण ताँका....अनिता जी बधाई !

मेरा मन पंछी सा ने कहा…

बहुत बेहतरीन...
:-)