गुरुवार, 6 फ़रवरी 2014

वसंतागमन

शशि पाधा
    1
आया वसंत
महकती दिशाएँ
कंचन बरसाएँ
मुग्ध कलियाँ 
चुनरी लहराएँ
मंगल गान गाएँ ।
     2
पीली सरसों
क्यों न फूली समा
वसंत घर आए
पुष्प गजरे
कलिका आभूषण
वसुधा मन भाए  
     3
कोकिल- गान
गुंजित चहुँ ओर
चहक उठी भोर
किसने बाँधी
अम्बर धरा तक
इन्द्रधनुषी डोर !
-0-

  



7 टिप्‍पणियां:

Rachana ने कहा…

पीली सरसों
क्यों न फूली समाए
वसंत घर आए
पुष्प गजरे
कलिका आभूषण
वसुधा मन भाए ।
aap bahut sunder likhti hai shabd bahut sunder chun ke lati hai
rachana

ज्योति-कलश ने कहा…

मनो मुग्धकारी है वसंत और उसकी सुषमा ...
हार्दिक बधाई दीदी

सादर
ज्योत्स्ना शर्मा

सुनीता अग्रवाल "नेह" ने कहा…

sundar :)

shashi purwar ने कहा…

bahut sundar sadoka shashi ji manhavan hardik badhai

प्रियंका गुप्ता ने कहा…

वसंत पंचमी के सुन्दर रंगों में सजी पंक्तियाँ...हार्दिक बधाई...|

Shashi Padha ने कहा…

प्रिय रचना , शशि, ज्योति जी, प्रियंका एवं सुनीता जी , आप सब का हार्दिक धन्यवाद |

Pushpa mehra ने कहा…

sabhisedoka basanti chhta se bhare hain.sashi ji bahut badhai.
pushpa mehra.