शनिवार, 4 मई 2013

तुम हो यादों में


डॉ सरस्वती माथुर
1
तुम  जुगनू बन आओ
रातों को मेरी
आलोकित कर जाओ l
2
तुम धारा मैं नदिया
मुझ तक आने में
कितनी बीती सदियाँ l
3
तुम हो मेरी सजनी
मन में रहती हो
ज्यों पूनम की रजनी l
4
है मेरा दिल खाली 
बगिया का मेरी
है तू ही तो माली l
5
आँखें मेरी पुरनम
तुम हो यादों में
कब होगा अब संगम l
-0-

2 टिप्‍पणियां:

संगीता पुरी ने कहा…

सुंदर ..

ज्योति-कलश ने कहा…

sundar maahiya ....bahut badhaaii Saraswati ji

jyotsna sharma