रविवार, 12 मई 2013

मीठी -सी याद


 सुदर्शन रत्नाकर

 मीठी -सी याद
अब भी भीतर है
कचोटती है,
ठंडे हाथों का स्पर्श
होता है मुझे
हवा जब छूती है
मेरे माथे को
दूर होकर भी माँ
बसी हो कहीं
मन की सतह में,
आँचल तेरा
ममता की छाँव का
नहीं भूलता,
बड़ी याद आती है
जब बिटिया
मुझे माँ बुलाती है
जैसे बुलाती थी मैं
-0-

13 टिप्‍पणियां:

Anju (Anu) Chaudhary ने कहा…

माँ को नमन

हरकीरत ' हीर' ने कहा…

बड़ी याद आती है
जब बिटिया
मुझे माँ बुलाती है
जैसे बुलाती थी मैं ।

waah bahut khoob ...!!

प्रतिभा सक्सेना ने कहा…

माँ की विरासत पा ली आपने !

Dr.NISHA MAHARANA ने कहा…

veri nice ...

प्रतिभा सक्सेना ने कहा…

माँ होने का यही तो गौरव है !

Manju Gupta ने कहा…

दूर होकर भी माँ
बसी हो कहीं
मन की सतह में,

बधाई .

गिरिजा कुलश्रेष्ठ ने कहा…

भाव भरी रचना । सुन्दर

Jyotirmai ने कहा…

भावपूर्ण चोका .

Anita Lalit (अनिता ललित ) ने कहा…

बहुत भावपूर्ण चोका ! दिल भर आया...
~सादर!!!

सदा ने कहा…

जैसे बुलाती थी मैं ..... माँ
भावमय करते शब्‍द ....

सुनीता अग्रवाल "नेह" ने कहा…

बहुत ही सुन्दर चोका ... बधाई :)

ज्योति-कलश ने कहा…

बहुत भावपूर्ण .....मोहक !!

सादर
ज्योत्स्ना शर्मा

प्रियंका गुप्ता ने कहा…

मार्मिक...भावपूर्ण चोका के लिए बहुत बधाई...|

प्रियंका