शुक्रवार, 8 मार्च 2013

वात्सल्यमयी


चोका-भावना सक्सैना

वात्सल्यमयी
ईंट की दीवारों में
भरती रही
ये जीवन के रंग
सदा से रही
धुरी परिवार की
स्नेह -सलिला
सिक्त करती रही
बचाती रही
जीवन -तपिश से
लुटाती रही
ममता अनमोल
कुछ न बोली कभी ।
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2 टिप्‍पणियां:

Anita Lalit (अनिता ललित ) ने कहा…

बचाती रही
जीवन -तपिश से
लुटाती रही
ममता अनमोल
कुछ न बोली कभी...~यही तो नारी है!
बहुत सुंदर चोका!
~सादर!!!

Krishna ने कहा…

बहुत सुन्दर चोका