सोमवार, 10 दिसंबर 2012

रिश्ते -2



1-कृष्णा वर्मा
1
रिश्ते जुड़ते
भावना -तंतुओं से
अदृश्य होती
प्रीत -बंध की डोरी
जुड़े , जाए ना तोड़ी।
2
रिश्तों का घट
प्रीत-पगे जल से
भरते रहो
रिसे जो पल-पल
दे आत्मिक ठंडक।
3
मिटे विषाद
मिले जो अपनों का
भुज-बंधन
रिश्ते महक उठें
जैसे चंदन-वन।
4
स्वार्थ -कीट ने
कुतरे हैं संबंध
टूटे बंधन
सगे हुए बेगाने
भूले प्रेम -तराने।
5
रिश्तों का मेह
जिस घर बरसे
हो हरियाली
जीवन -डाली गाए
कोयल मतवाली।
-0-
2-रेनु चन्द्रा
1
रिश्ते निभाना
होता नहीं आसान
रिश्तों की डोर
रेशम के धागों -सी
होती है कमजोर।
2
रिश्ते निभाना
हमें पुल सिखाता
तूफाँ में फँसे
सभी लोगों को वह
उतारता है पार
3
रिश्ते बचाते
पुल चरमराता
दोनों ओर के
प्रहारों को स्वयं ही
झेल जाता है पुल ।
4
प्यार का रिश्ता
सबसे है सुन्दर
खुशबू बन
जीवन महकाता
मन में बस जाता ।
5
रिश्ता टूटे तो
दिल टूट जाता है
जीवन भर
जमा धन को जैसे
कोई लूट जाता है ।
-0-  

2 टिप्‍पणियां:

shashi purwar ने कहा…

krishna ji , renju ji ki rachnaye acchi lagi , dono ko badhai

ज्योति-कलश ने कहा…

आज के रिश्तों की स्थिति को अभिव्यक्त करते सुन्दर ताँका ....

रिश्तों का घट
प्रीत-पगे जल से
भरते रहो
रिसे जो पल-पल
दे आत्मिक ठंडक।....तथा ...

प्यार का रिश्ता
सबसे है सुन्दर
खुशबू बन
जीवन महकाता
मन में बस जाता ।...मन को महका गए ....बधाई ..दोनों कवयित्रियों को ...सादर ...ज्योत्स्ना शर्मा