शुक्रवार, 2 मार्च 2012

ज़िन्दगी की सुबह


डॉoजेन्नी शबनम
1
ज़िन्दगी चली
बिन सोचे समझे,
किधर मुड़े ?
कौन बताये दिशा
मंज़िल मिले जहाँ !
2
मालूम नहीं 
मिलती क्यों ज़िन्दगी
बेअख्तियार,
डोर जिसने थामी
उड़ने से वो रोके !
3
अब तो बढ़
ऐ ठहरी ज़िन्दगी,
किसका रस्ता
तू देखे है निगोड़ी
तू है तन्हा अकेली !
4
चहकती है  
खिली महकती है
ज़िन्दगी प्यारी
जीना हीं है जीभर
बीते सारी उमर !
5
बनी जो कड़ी
ज़िन्दगी की ये लड़ी
ख़ुशबू फैली,
मन होता बावरा
ख़ुशी जब मिलती !
6
फिर है खिली
ज़िन्दगी की सुबह
शाम सुहानी,
मन नाचे बारहा
सौगात जब मिली !
7
कौन है जाने
कौन है पहचाने
राह जो चले
ज़िन्दगी अनजानी
पर नहीं कहानी !
-0-

9 टिप्‍पणियां:

Dr.Anita Kapoor ने कहा…

कौन है जाने

कौन है पहचाने

राह जो चले

ज़िन्दगी अनजानी

पर नहीं कहानी !

सभी तांके बहुत सुंदर ....भावों से परिपूर्ण .....बधाई

amita kaundal ने कहा…

अब तो बढ़
ऐ ठहरी ज़िन्दगी,
किसका रस्ता
तू देखे है निगोड़ी
तू है तन्हा अकेली
kya khoob likha hai bahut sunder tanka hain badhai,
saadar,
amita

बेनामी ने कहा…

मालूम नहीं
मिलती क्यों ज़िन्दगी
बेअख्तियार,
डोर जिसने थामी
उड़ने से वो रोके !

बहुत सुन्दर....बधाई।
कृष्णा वर्मा

Dr.Bhawna Kunwar ने कहा…

ज़िन्दगी चली
बिन सोचे समझे,
किधर मुड़े ?
कौन बताये दिशा
मंज़िल मिले जहाँ !
jindgi ko bahut achchhe se ex plane kiya hai aapne badhai !

प्रियंका गुप्ता ने कहा…

कौन है जाने
कौन है पहचाने
राह जो चले
ज़िन्दगी अनजानी
पर नहीं कहानी !
क्या कहने...बहुत खूबसूरत...।
प्रियंका

सीमा स्‍मृति ने कहा…

जेनी जी आप की मुस्‍कान ही जिन्‍दगी से भरपूर है। फिर तांको में जिन्‍दगी की झलक कैसे ना होगी । बधाई

डॉ. जेन्नी शबनम ने कहा…

mere tanka ko 'Triveni' mein jagah dene ke liye bahut aabhar.

meri lekhni ki sarahna ke liye aap sabhi ka tahe dil se shukriya.

zindagi jabtak hai bas muskuraate rahna hai aur yahi zindagi hai, zindagi se utar taankon mein samaa gai zindagi... bahut shukriya Seema ji.

बेनामी ने कहा…

जेन्नी शबनम जी , आपने ज़िंदगी पर ताँके लिख कर ज़िंदगी को शबनम बना दिया है ...ख़ूबसूरत ......

रमा द्विवेदी

बेनामी ने कहा…

जेन्नी शबनम जी , आपने ज़िंदगी पर ताँके लिख कर ज़िंदगी को शबनम बना दिया है ...ख़ूबसूरत ......
रमा द्विवेदी